बाड़मेर।
राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले की एक कोर्ट ने पांच साल पुराने एक मामलें में एक नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने के मामलें में कुल पांच में से दो आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई। इसी मामलें में कोर्ट ने शेष तीन आरोपियों को 7-7 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गयी है।
जानकारी के मुताबिक 31 मार्च 2013 को बाड़मेर पुलिस ने जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर रड़वा गांव की पहाडि़यों में एक 12 वर्षीय बालिका का शव बरामद किया था। मामलें की जांच में सामले आया कि मृतका के साथ सामुहिक दुष्कर्म कर उसकी हत्या की गयी थी। इस मामलें में पांच आरोपियों घेवरसिंह, श्रवणसिंह, प्रहलादसिंह, नरसिंह सिंह और शंकरसिंह के खिलाफ अदालत में केस चला और बुधवार को कोर्ट ने पांचों आरोपियों को सजा सुनाई। कोर्ट ने घेवरसिंह और श्रवणसिंह को फांसी की सजा और शेष तीन आरोपियों को 7 वर्ष की सजा सुनाई।
वमितासिंह, विशिष्ठ न्यायाधीश पोस्को एवं अनु.जाति एवं जनजाति केसेज ने मंगलवार को घेवरसिंह और श्रवणसिंह को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 363ए 366 क, 376 ए, 376 डी, 458, 450, 302, 120 बी और 5(जी)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम 2012 के तहत अपराधी माना। कोर्ट ने दोनों आरोपियों को धारा 302 और 376ए और 120 बी के तहत फांसी की सजा सुनाई।
वहीं शेष तीन आरोपियों प्रहलादसिंह, नरसिंह सिंह और शंकरसिंह को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 347, 201 और 19(1)/21 लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम 2012 के तहत अपराधी माना। कोर्ट ने तीनों आरोपियों को धारा 201 के तहत सात-सात वर्ष के कारावास और पांच-पांच हजार के अर्थदंड, धारा 347 के तहत के तहत सात-सात वर्ष के कारावास और दस-दस हजार के अर्थदंड और 19(1)/21 लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम 2012 के तहत छ-छ माह के कठोर कारावास और दो-दो हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई।
विशेष लोक अभियोजक सवाई माहेश्वरी और अधिवक्ता करनाराम चौधरी ने परिवादी की ओर से वहीं अधिवक्ता स्वरूपसिंह राठौड़ ने अभियुक्तगणों की ओर से पैरवी की।